आदत !!

तू मेरे पास होता, ये मेरी हालत नहीं होती,

यों पीकर बहकने की फिर ज़रुरत नहीं होती !

फ़िर जाम उठाने का वक़्त कहाँ मिलता ,

जब गेसुए पेचां से ही फुर्सत नहीं मिलती !

कटती है सुब्होशाम मयखाने में आज कल ,

जो तू होता यक़ीनन ये मेरी आदत नहीं होती !

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