तू मेरे पास होता, ये मेरी हालत नहीं होती,
यों पीकर बहकने की फिर ज़रुरत नहीं होती !
फ़िर जाम उठाने का वक़्त कहाँ मिलता ,
जब गेसुए पेचां से ही फुर्सत नहीं मिलती !
कटती है सुब्होशाम मयखाने में आज कल ,
जो तू होता यक़ीनन ये मेरी आदत नहीं होती !
तू मेरे पास होता, ये मेरी हालत नहीं होती,
यों पीकर बहकने की फिर ज़रुरत नहीं होती !
फ़िर जाम उठाने का वक़्त कहाँ मिलता ,
जब गेसुए पेचां से ही फुर्सत नहीं मिलती !
कटती है सुब्होशाम मयखाने में आज कल ,
जो तू होता यक़ीनन ये मेरी आदत नहीं होती !