रौशनी !!

मैं अंधेरों उजालों में तुझको ढूंढ़ता हूँ,

आवाज़ दे मुझे तू ए ज़िन्दगी कहाँ है !

तारीकियों में डूबी हर एक शै है जैसे ,

चराग़ तो रोशन है मग़र रौशनी कहाँ है !!

 

फ़ासला !!

न उधर से मेरे खत का कोई ज़वाब आया,
न इधर से कोई मैंने फिर कदम बढ़ाया !
दो पल की ख़ामुशी बनी बरसों का फ़ासला ,
न उसने कुछ कहा कभी , न मैंने बुलाया !!

रंजिश !!

ख़ुद की भी ना रहे ख़बर , यों बेहोश हो जाएं ,

चलो मयखाने में जा कर ज़रा मदहोश हो जाएं !

यों लड़ते लड़ते थक चुके, अब छोड़ कर रंजिश ,

चलो मयखाने में जा कर के फिर से दोस्त हो जाएं !!