रौशनी !!

मैं अंधेरों उजालों में तुझको ढूंढ़ता हूँ,

आवाज़ दे मुझे तू ए ज़िन्दगी कहाँ है !

तारीकियों में डूबी हर एक शै है जैसे ,

चराग़ तो रोशन है मग़र रौशनी कहाँ है !!

 

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