कोई भी हो मंज़र, मुझे बस तुम ही दिखते हो,,
नज़र ऐसी मेरी उलझी तेरी नज़रों से जा लिपटी !
कोई भी बात करता हूँ, तेरी ही बात होती है,
कोई भी बात जो निकली तेरी बातों से जा लिपटी !
मैं तुझको याद करता हूँ, तेरा ही नाम लेता हूँ ,
मेरी सांसों की हर जुम्बिश तेरी सांसों से जा लिपटी !
कोई भी ख्वाब हो मेरा, तेरा ही ख्वाब होता है ,
मेरे ख्वाबों ही कहानी तेरे ख्वाबों से जा लिपटी !
कोई भी साथ हो मेरे, तेरे ही साथ चलता हूँ ,
मेरे क़दमों की हर आहट तेरे क़दमों से जा लिपटी !
Your poetry is very beautiful. I have just begin writing posts in Hindi and I hope someday to write as well as you
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Thank You very much for the appreciation 🙂
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