मयखाने से निकला ही था के मिल गया वाइज़ मुझे,
कहने लगा मैं देखता हूँ रोज़ आते हो यहाँ
कुछ होश की दवा करो क्या मिल रहा पी कर तुम्हेँ ,
ये आदत बहुत ख़राब है शराब छोड़ दो !!
मैंने कहा अदब से मेहरबानी मोहतरम ,
आपको अब क्या कहें जिसने कभी पी ही नहीं
मयखाने को रखने दो मेरे जाम का हिसाब,
जा कर ख़ुदा का नाम लो, हिसाब छोड़ दो !