लफ़्ज़ों में लिपटा दर्द ना हो जाए बरहना,
तुम सामने हो तो कहीं कुछ बात ना निकले !
तन्हाईओं में अक्सर करते थे इस से बातें ,
डरते है ये आईना कहीं गुस्ताख़ ना निकले !!
लफ़्ज़ों में लिपटा दर्द ना हो जाए बरहना,
तुम सामने हो तो कहीं कुछ बात ना निकले !
तन्हाईओं में अक्सर करते थे इस से बातें ,
डरते है ये आईना कहीं गुस्ताख़ ना निकले !!
bahut khoob
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