तूफ़ान कुछ ऐसा चला, गुलशन को ख़ाक कर गया ,
हम रह गए बस बिखरे हुए तिनके सँभालते !
लफ़्ज़ों के नश्तर छोड़ कर वो अपनी राह चल दिया
हम रह गए बस जिस्म से काँटे निकलते !!
तूफ़ान कुछ ऐसा चला, गुलशन को ख़ाक कर गया ,
हम रह गए बस बिखरे हुए तिनके सँभालते !
लफ़्ज़ों के नश्तर छोड़ कर वो अपनी राह चल दिया
हम रह गए बस जिस्म से काँटे निकलते !!