दीवारों पे तेरा नाम लिख लिख के मिटाया मैंने,
क्या कहूँ कितनी मुश्किल से तुझको भुलाया मैंने !
बरसों का ताल्लुक तोड़ कर तुम यूँही चल दिए ,
पलट कर भी नहीं देखा कितना बुलाया मैंने !
तुमको पास मेरे लौट कर तो आना है इक दिन ,
हर शाम इसी तरह इस दिल को समझाया मैंने !
छुपा के दर्द सबसे रखा सामने हँसता हुआ चेहरा ,
बड़ी नफ़ासत से मेरे किरदार को निभाया मैंने !!